सीढ़ियों के नीचे से आती वो आवाज़...

“कुछ आवाज़ें इंसानों की नहीं होतीं, और कुछ दरवाज़े ऐसे होते हैं जिन्हें बंद ही रहने देना चाहिए…”


शहर से दूर, पुराने जंगल के किनारे एक पुरानी हवेली थी। लोग उसे “भटियानी कोठी” के नाम से जानते थे। वर्षों से बंद पड़ी इस हवेली में अब कोई नहीं रहता था... सिवाय उन आवाज़ों के, जो रात के तीसरे पहर सीढ़ियों के नीचे से आती थीं।

2023 की गर्मियों में, आरव नाम का एक लड़का अपने माता-पिता के साथ इस हवेली में रहने आया। पिता को पुरातत्व विभाग से हवेली की मरम्मत और सर्वेक्षण की ज़िम्मेदारी मिली थी।

पहली रात: अजीब सरसराहट

पहली ही रात, जब आरव सोने गया, उसने नींद में सुना – सीढ़ियों के नीचे से कोई धीमे-धीमे फुसफुसा रहा था। आवाज़ साफ नहीं थी, लेकिन उसमें एक अजीब सी घुलती-घुटती सरसराहट थी।

अगली सुबह माँ से पूछा तो उन्होंने कहा – “ये पुरानी हवेली है, चूहे होंगे शायद।” लेकिन अगली रात वही आवाज़ और तेज़ हो गई, और इस बार आरव ने साफ सुना: “नीचे आओ…”

पुरानी सीढ़ियाँ और बंद तहखाना

हवेली के एक कोने में पत्थर की बनी सीढ़ियाँ थीं, जो नीचे तहखाने की ओर जाती थीं। उस दरवाज़े पर तीन लोहे की कुंडियाँ थीं, और दरवाज़े पर लाल रंग से कुछ उकेरा हुआ था – किसी पुराने तांत्रिक यंत्र जैसा।

पिता ने साफ कहा था – “तहखाना अभी खतरनाक है, कोई नीचे नहीं जाएगा।” लेकिन वो दरवाज़ा जैसे खुद बुला रहा था… हर रात… हर पल।

दरवाज़ा खुला…

तीसरी रात, जब सब सो रहे थे, आरव उठा और सीढ़ियों की ओर चला गया। दरवाज़े तक पहुंचते ही देखा – एक कुंडी खुली हुई थी

साँस रुक गई उसकी। लेकिन जैसे किसी अदृश्य ताक़त ने उसे आगे धकेला हो, उसने दूसरी कुंडी भी खोल दी… और फिर तीसरी…

जैसे ही दरवाज़ा खुला, अंदर से एक गाढ़ा धुआँ निकला और कमरे में भरने लगा। साथ ही एक ठंडी सड़ी गंध और एक धीमी-सी कराह...

तहखाने का रहस्य

नीचे अंधेरा था, लेकिन सीढ़ियाँ दिखाई दे रही थीं – टूटी, गीली, और खून के धब्बों से सनी हुई। आरव जैसे ही नीचे बढ़ा, उसे पीछे से किसी ने पुकारा –

“आरव… मत जा…”

वो मुड़ा – कोई नहीं था। नीचे से आवाज़ आई – “तू आ ही गया…”

आखिरी दृश्य

सुबह तक आरव वापस नहीं आया। जब पिता नीचे गए तो दरवाज़ा खुला था, लेकिन तहखाना खाली था – बस एक दीवार पर लिखा था:

“एक और आ गया… सीढ़ियों की आवाज़ अब किसी और को बुलाएगी…”


क्या आप कभी किसी ऐसी सीढ़ी से गुज़रे हैं जहाँ कोई नहीं था… लेकिन आवाज़ें थी?

क्या तुम अगली दहशत का सामना करोगे?

"कमरे की आंखिरी खिड़की" में छिपा है वो राज़... जो इस रात को और डरावना बना देगा।

(क्लिक करने से पहले सोच लो... लौटना आसान नहीं होगा...)

नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं। और ऐसी ही डरावनी, रहस्यमयी कहानियों के लिए पढ़ते रहिए RuhRahasya!

RuhRahasya ब्लॉग | जहाँ डर और रहस्य साथ चलते हैं…