भूतिया हवेली की वो खिड़की जो हर रात खुल जाती है...

“हर रात खुलती थी... एक खिड़की — मौत की तरफ़”


भूमिका:

उत्तर भारत के एक शांत और घने जंगलों में बसी है एक पुरानी, वीरान हवेली — ठाकुर हवेली। 150 साल पुरानी ये हवेली अब बस एक खंडहर है, लेकिन गाँव वालों के लिए आज भी यह एक रहस्य है... और एक डर। कारण? — उस हवेली की एक खिड़की, जो हर रात 3 बजे अपने आप खुल जाती है...


 शुरुआत

साल 2012 की बात है। जयपुर से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे राघव नाम के युवक ने अपने प्रोजेक्ट के लिए "भारत की सबसे डरावनी जगहें" चुन ली थीं। वो कैमरा लेकर पहुँचा उस गाँव — रानापुर।


गाँव वालों ने उसे बहुत मना किया —

बाबूजी, रात को वहाँ मत जाना... वो खिड़की खुलती है... और फिर कोई लौट कर नहीं आता।


 रात का इंतज़ार

राघव रात को 11 बजे हवेली पहुँचा। टॉर्च, कैमरा, और अपने मोबाइल के साथ। हवेली की दीवारों पर समय की मार साफ़ दिख रही थी — टूटी छत, झाड़ियाँ, और हर कोने में धूल।


रात के 2:59 बजे तक सब शांत था। लेकिन जैसे ही घड़ी ने 3:00 बजे की आवाज़ दी... चूँ...

खिड़की अपने आप खुल गई।



 आवाज़ें और साया

खिड़की के खुलते ही हवेली के अंदर अजीब सी ठंड फैल गई। कैमरे में एक काली परछाईं झलकती है — जो धीरे-धीरे राघव की तरफ़ बढ़ती है। और फिर, रिकॉर्डिंग वहीं कट जाती है।


अगली सुबह, गाँव वालों को हवेली के पास राघव का कैमरा और फोन पड़ा मिला। लेकिन राघव कभी नहीं मिला।


 खिड़की का रहस्य

1890 में उसी कमरे में ठाकुर की बेटी कुसुम ने आत्महत्या कर ली थी। उसे ज़बरदस्ती शादी के लिए मजबूर किया गया था। उसने आखिरी बार उसी खिड़की से कूदकर जान दी थी।


लोग मानते हैं — उसकी आत्मा आज भी 3 बजे उस खिड़की को खोलती है, किसी को अपने साथ ले जाने के लिए...


निष्कर्ष

आज भी रानापुर गाँव की रातें शांत नहीं होतीं।

कभी-कभी हवेली से किसी लड़की के गाने की आवाज़ आती है...

और कभी उस खिड़की से झांकती एक साया दिखाई देती है...


क्या आप उस हवेली में रात 3 बजे खिड़की के सामने खड़े होने की हिम्मत रखते हैं?


क्या तुम अगली दहशत का सामना करोगे?

"कमरे की आंखिरी खिड़की" में छिपा है वो राज़... जो इस रात को और डरावना बना देगा।

(क्लिक करने से पहले सोच लो... लौटना आसान नहीं होगा...)

**आप क्या सोचते हैं? क्या भूत होते हैं? नीचे कमेंट करके बताएं। और ऐसी ही और सच्ची डरावनी कहानियों के लिए पढ़ते रहें – [RuhRahasya](https://www.ruhrahasya.blogspot.in)**



डिस्क्लेमर:


यह लेख एक रहस्यमयी कथा और जनश्रुतियों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल मनोरंजन और जिज्ञासा को बढ़ाना है। इसमें वर्णित घटनाएं, स्थान, और अनुभव सत्य हो भी सकते हैं और नहीं भी। पाठकों से निवेदन है कि वे इसे कल्पना और अनुभवजन्य तथ्यों के रूप में लें, न कि प्रमाणिक सच्चाई के रूप में।