पिशाचनी की वापसी – हिमालय की रहस्यमयी गुफा
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| नागगुफा – जहाँ से कोई लौटकर नहीं आया... |
🧊 प्रस्तावना: बर्फ की चुप्पी में छुपा एक राक्षसी रहस्य
उत्तराखंड के ऊपरी हिमालयी इलाकों में एक गुफा है जिसे स्थानीय लोग "नागगुफा" कहते हैं। कहा जाता है कि ये गुफा हर साल बर्फ से ढँक जाती है लेकिन जब भी गर्मियों में इसका रास्ता खुलता है, कोई न कोई वहां जाता है… और फिर कभी नहीं लौटता।
पिछली बार 1984 में एक शेरपा दल वहाँ गया था। वापस आया सिर्फ एक आदमी — वो भी पागल हालत में। उसके मुँह से सिर्फ एक ही शब्द निकला — "वो लौट आई है… पिशाचनी"।
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खोजी टीम का आगाज़
2024 की गर्मियों में, एक यू-ट्यूबर एक्सप्लोरर "सागर भंडारी" ने अपने चैनल के लिए उस गुफा में जाने की योजना बनाई। उसके साथ थे:
आरव: उसका कैमरा मैन
दिव्या: लोककथाओं की रिसर्चर
समर: पहाड़ी गाइड
सागर को इस गुफा के बारे में एक पुरानी डायरी से पता चला था जो किसी ब्रिटिश खोजकर्ता की थी। उस डायरी में लिखा था:
> "Inside the cave, I saw her — eyes red like coal, floating above the ground, chanting in a tongue unknown…"
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🔥 गुफा की देहलीज़ पर
गाइड समर ने साफ कहा —
> "भाई साहब, ये इलाका देवभूमि है। यहाँ ना इंसान का राज चलता है ना विज्ञान का।"
गुफा के पास पहुँचते ही अजीब सी ठंड और सन्नाटा बढ़ गया। मोबाइल काम करना बंद कर गए। कैमरे की बैटरी अपने आप डाउन हो गई।
रात का समय था और उन्होंने गुफा के पास ही टेंट लगाया।
दिव्या ने एक पुरानी लोककथा सुनाई:
> "वो एक पिशाचनी थी जिसे साधुओं ने हिमालय में कैद कर दिया था।
लेकिन हर 40 साल में एक रात ऐसी आती है जब वो बाहर निकल सकती है… अगर कोई उसकी गुफा में प्रवेश करे।"
और वही रात थी – अमावस्या।
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🕳️ गुफा के अंदर
अगली सुबह, टीम गुफा में घुसी।
भीतर अजीब सी दीवारों पर प्राचीन चित्र बने थे — आधी औरत, आधा भेड़िया, और एक चित्र में तो एक औरत को हवा में उड़ते दिखाया गया था।
कुछ मीटर अंदर जाने पर सबने महसूस किया कि ठंड बढ़ती जा रही है, जैसे कोई अदृश्य चीज़ साथ चल रही हो।
अचानक दिव्या चीखी —
> "मेरी पीठ पर किसी ने हाथ रखा!"
पीछे कोई नहीं था।
आरव ने कैमरे की फूटेज चेक की… उसमें एक फ्रेम में कुछ दिखा —
एक काली परछाई, जो दीवार से निकल कर दिव्या की ओर बढ़ रही थी।
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🩸 बलि का रहस्य
गुफा के अंतिम हिस्से में एक चबूतरा था… और उस पर सूखे खून के निशान।
एक शिलालेख पर लिखा था:
> "जो इस द्वार से भीतर गया, वो उसका हो गया…
रक्त दो या आत्मा, पर खाली मत लौटना।"
तभी दिव्या trance में चली गई। वो संस्कृत जैसी कोई भाषा बोलने लगी जिसे कोई समझ नहीं पा रहा था।
समर ने डरते हुए कहा:
> "ये पिशाचनी की आत्मा को जगा चुकी है। अब कोई एक ही जा पाएगा वापस…"
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😱 भाग निकलो या आत्मा खो दो
तेज़ हवाओं और अजीब शोर के बीच सबने भागना शुरू किया।
सागर ने दिव्या को पकड़कर बाहर की ओर खींचा, लेकिन गुफा की दीवारें खुद-ब-खुद सिकुड़ने लगीं।
बाहर निकले बस आरव और सागर।
दिव्या और समर वहीं रह गए…
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⛺ समाप्ति: आज भी वो गुफा जिंदा है
सागर ने अपने चैनल पर कुछ नहीं डाला।
उसने सिर्फ एक पोस्ट लिखी:
> "इस गुफा में
जाना आत्महत्या से कम नहीं।
कोई नहीं जानता कि वो कौन है, लेकिन वो आज भी वहाँ है — और हर 40वें साल वापस आती है।"
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⚠️ Disclaimer:
यह कहानी प्राचीन लोककथाओं, इंटरनेट स्रोतों और काल्पनिक कल्पना पर आधारित है।
हमारा उद्देश्य किसी विश्वास, धर्म या परंपरा का अपमान नहीं है। इस पोस्ट का उद्देश्य केवल मनोरंजन और रहस्य पेश करना है।


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