रिकॉर्डर में कैद… वो आवाज़ जो इंसानी नहीं थी
पिछली रात की बेचैनी…
अदिति ने जो किया, वो बस एक curiosity थी…
रात 12 बजे, अमावस की घनी स्याही में, अकेले जाकर गांव के सबसे रहस्यमयी कुएं के पास अपने वॉयस रिकॉर्डर को छोड़ना – ये खेल नहीं था।
कुएं की ओर जाते वक़्त उसके हर कदम के नीचे सूखी पत्तियाँ चरमरा रही थीं। पीछे कहीं कोई आवाज़ आती तो वो मुड़कर देखती… लेकिन हर बार खालीपन ही मिलता।
उस कुएं के पास पहुँचकर, उसने बिना ज़्यादा रुकावट के रिकॉर्डर चालू किया और एक छोटे पत्थर पर रख दिया।
“चलो, अब देखती हूँ, इसमें क्या आता है…” – सोचते हुए वो तेज़ कदमों से वहाँ से लौट आई।
पर उसे क्या पता था…
जो आवाज़ें वो सुनने चली थी…
अब वो उसका पीछा करने वाली थीं।
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अगली सुबह – डर की शुरुआत
सुबह का सूरज पूरे गांव पर पसरा था, लेकिन अदिति के कमरे में अंधेरा था। खिड़की की परदे खिंचे हुए थे, और उसके हाथों में वो वॉयस रिकॉर्डर थरथरा रहा था।
उसने दरवाज़ा बंद किया, कानों में हेडफोन लगाया… और रिकॉर्डिंग चालू कर दी।
पहले कुछ सेकेंड्स – सिर्फ हवा की आवाज़।
फिर किसी जानवर के हल्के पदचाप… शायद कोई बिल्ली?
फिर…
“टिक… टिक… टिक…”
जैसे कोई barefoot ज़मीन पर धीरे-धीरे चल रहा हो।
अदिति की साँसें तेज़ हो गईं।
फिर एक भारी, फुसफुसाती आवाज़ आई…
> “देख रही है वो… कुएं से…”
उसने एक झटका खाया। किसकी आवाज़ थी ये?
फिर अचानक… एक ज़ोर का कराहना।
जैसे किसी की आत्मा को कोई खींच रहा हो…
> “अदिति… तू वापस क्यों आई?”
उसके रोंगटे खड़े हो गए।
उसने कभी अपना नाम रिकॉर्ड में नहीं लिया था… तो ये कैसे?
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पुरानी औरत और वो ज़िक्र
उसी दिन अदिति ने गांव की सबसे बूढ़ी महिला शारदा दादी से मिलने का फ़ैसला किया। वो अक्सर पुराने रहस्यों की बातें करती थी जिन्हें लोग "पागलपन" समझ कर टाल देते थे।
शारदा दादी, जो खुद 90 की थीं, अदिति को देख मुस्कुराईं –
“आ गई तू? आवाज़ें सुन लीं?”
अदिति की आँखें चौड़ी हो गईं।
“आपको कैसे पता…?”
दादी ने धीमे स्वर में कहा –
> “जिस कुएं से तू खेलने की सोच रही है… वहाँ सिर्फ़ पानी नहीं… इतिहास भी है।”
अदिति की साँसे थमी हुई थीं।
“उस औरत को इंतज़ार है… जिसकी शादी अधूरी रह गई थी।
अमावस को, वही वक़्त था उसकी विदाई का… लेकिन उसने साड़ी में लहू बहते देखा… और कूद गई उसी कुएं में…”
> “अब हर अमावस, वो उसी तरह बैठती है… उसी वक़्त… किसी और दुल्हन के इंतज़ार में।”
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रात में फिर कुछ हुआ…
उस रात अदिति ने कमरे में अकेले लेटे हुए दोबारा वो रिकॉर्डिंग सुनी।
लेकिन इस बार… एक नया हिस्सा उसमें जुड़ गया था…
> “किसी और को मत भेजना… वरना अगली दुल्हन तू होगी।”
उसने तुरंत रिकॉर्डर बंद कर दिया।
दरवाज़े पर दस्तक हुई।
"ठक... ठक... ठक..."
कलेजा मुँह को आ गया।
उसने झाँका… कोई नहीं था।
लेकिन नीचे फर्श पर… गीली सफेद साड़ी की लकीरें दिख रही थीं – जो दरवाज़े से कमरे के अंदर तक गई थीं… और रुको… वो खत्म नहीं हो रही थीं…
वो बिस्तर के नीचे चली गई थीं।
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क्या अदिति की वापसी होगी उस कुएं तक?
अब अदिति के पास दो रास्ते थे –
या तो ये सब पागलपन समझकर रिकॉर्डर फेंक दे…
या फिर दूसरी रात फिर जाकर उसकी असली आवाज़ को जानने की कोशिश करे।
और उसने चुना… दूसरा रास्ता।
क्योंकि अब ये कहानी उसकी नहीं रही…
बल्कि उस औरत की थी…
जो हर अमावस को, हर नयी लड़की को खुद में बदलना चाहती थी।
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क्या अगली अमावस को अदिति लौटेगी?
या इस बार… कहानी का अंत हमेशा के लिए लिखा जाएगा?
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अगला भाग जल्द आएगा:
“अमावस की तीसरी रात… कुएं से आई वो चीख़”
क्या आपने कभी ऐसी कोई रिकॉर्डिंग सुनी है जिसमें कुछ अनसुलझा हो?
या आपके गांव में भी कोई कुआं है जो आज भी रहस्य बनकर खड़ा है?
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> 1. राजमहल की आखिरी सीढ़ी – Part 1
जहां हर कदम के साथ मौत की आहट है… क्या आप आखिरी सीढ़ी तक पहुंच पाएँगे?
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एक हॉस्टल रूम, एक पुराना नियम, और एक रात जो कभी खत्म नहीं होती…
> 3. बेहरामपुर का कुआँ – Part 1
जहां से ये डरावनी कहानी शुरू हुई… जिसने अदिति की ज़िंदगी ही बदल दी।
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