राजस्थान के एक दूरस्थ क्षेत्र में बसा धवलगढ़ गांव अपनी खूबसूरती और प्राचीन मंदिरों के लिए मशहूर था। लेकिन इसके पास ही फैले हुए काले वन के नाम से कुख्यात जंगल में कोई रात में कदम नहीं रखता था।


गांव वालों का मानना था कि उस जंगल में एक बाघ है। पर ये कोई आम बाघ नहीं — वो शापित है। कहते हैं, वो बाघ इंसानों की आत्मा को खा जाता है, लेकिन शरीर को कभी नहीं छूता। और जो एक बार उसकी आँखों में देख ले, वो पागल हो जाता है... या फिर गायब।


अन्वेषक का आगमन


इस कहानी की शुरुआत होती है राघव वर्मा से — एक पत्रकार जो रहस्यमयी कहानियों के पीछे सच्चाई खोजने में विश्वास करता था। उसे जब धवलगढ़ के बाघ के बारे में पता चला, तो उसने तय किया कि वो खुद वहाँ जाएगा और सच्चाई सबके सामने लाएगा।


गांव वालों ने उसे बहुत रोका।

"बाबा कालीनाथ" — गाँव का पुजारी — बोला,


> "बेटा, ये कोई कहानी नहीं। उस जंगल में रात के तीसरे पहर जब बाघ की गुर्राहट सुनाई देती है, तो किसी न किसी घर का चिराग बुझ जाता है।"




लेकिन राघव नहीं माना।


काले वन की रात


राघव अपने कैमरे और नोटबुक के साथ जंगल में दाखिल हुआ। शुरुआत में सब सामान्य था, पर जैसे-जैसे रात गहराने लगी, जंगल की नमी और सन्नाटा डरावना होता गया।


रात के ठीक तीन बजे, उसे कुछ हरकत महसूस हुई। झाड़ियों के पीछे से दो चमकती आँखें उसे घूर रही थीं। वो कैमरा उठाने ही वाला था कि सामने एक विशाल बाघ खड़ा था — लेकिन वो बाघ आधा पारदर्शी था... उसकी आंखें नीले नहीं, काले रंग की थीं... जैसे किसी मृत आत्मा की।


बाघ गुर्राया नहीं। वो बस देखता रहा — और राघव की आँखों के सामने पूरा जंगल घूमने लगा।


बाघ का सच


राघव अगले दिन सुबह गांव वापस आया। लेकिन वो बोल नहीं पा रहा था। उसकी आँखें सूनी हो गई थीं। डॉक्टर ने कहा — "कोई गहरा मानसिक आघात है।"


पर बाबा कालीनाथ ने सब समझ लिया।


> “तू उसकी आँखों में देख बैठा बेटा... अब या तो वो तुझमें समा जाएगा... या तू उसका रहस्य सबको बता कर मुक्त हो जाएगा।”




बाबा ने राघव को पास बैठाया और कहानी बताई:


200 साल पहले वहाँ एक शिकारी था — नाम था रुद्रसेन। उसने जंगल के सारे बाघों को मार डाला, लेकिन एक दिन वो एक साधु के शिष्य को बाघ समझ कर मार बैठा। साधु ने उसे श्राप दिया:


> "जंगल की आत्माएं तुझमें समा जाएंगी, और तू खुद बाघ बन जाएगा... अमर, लेकिन अकेला... जब तक कोई तेरी पीड़ा को समझे और तुझे मुक्त करे।"




राघव अब उस आत्मा का वाहक बन गया था।


अंत... या शुरुआत?


राघव ने सारी बात अपने ब्लॉग पर लिखी, और कहानी तेजी से वायरल हुई। लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद राघव गायब हो गया।


अब भी लोग कहते हैं, धवलगढ़ के पास उस काले वन में कोई नया बाघ घूमता है — जो देखने में अजीब है, जिसकी आँखें काली हैं... और जो किसी इंसान जैसा लगता है।


क्या वो राघव था?

या शापित आत्माएं अब किसी और को ढूंढ रही हैं?



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(लेखक की ओर से):


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